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बिहार नगर निकाय चुनाव : EBC आरक्षण के लिए नीतीश सरकार ने आयोग बनाया, हाईकोर्ट से अर्जी वापस ली।

बिहार नगर निकाय चुनाव : EBC आरक्षण के लिए नीतीश सरकार ने आयोग बनाया, हाईकोर्ट से अर्जी वापस ली।







नगर निकाय चुनाव आरक्षण मामले में दायर पुनर्विचार याचिका को राज्य सरकार ने वापस ले लिया है। साथ ही सरकार ने कोर्ट में कहा है कि अति पिछड़ा वर्ग आयोग (ईबीसी आयोग) को ही राजनीतिक पिछड़ेपन के अध्ययन के लिए समर्पित आयोग का दर्जा दे दिया गया है। इसके सदस्यों के रिक्त पदों पर नियुक्ति कर दी गई है। जदयू नेता प्रो नवीन आर्य अति पिछड़े वर्गों के लिए बने राज्य आयोग के अध्यक्ष बनाया गये है। समान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में जानकारी दी है। पटना हाई कोर्ट के निर्देश के बाद आयोग गठित किया गया है। बता दें कि राज्य सरकार ने पहले कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे, लेकिन हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी। फिर सुनवाई हुई तो आयोग बनाने की बात कहकर अर्जी वापस ले ली।

बुधवार को मुख्य न्यायाधीश संजय करोल तथा एस कुमार की खंडपीठ ने सरकार की ओर से दायर सभी पुनर्विचार अर्जी पर सुनवाई की। कोर्ट में चली लम्बी सुनवाई के बाद शाम में राज्य सरकार ने दायर सभी पुनर्विचार अर्जी को वापस लेने का अनुरोध कोर्ट से किया। कोर्ट ने सरकार के अनुरोध को मंजूर करते हुए सभी पुनर्विचार अर्जी को निष्पादित करते हुए स्पष्ट किया कि समर्पित आयोग की रिपोर्ट मिलने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव में आरक्षण का लाभ देते हुए चुनाव संपन्न करा ले। नगर निकाय आरक्षण मामले में सुनवाई के दौरान नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर कोर्ट में उपस्थित रहे।

चुनाव जल्द होने के आसार बढ़े
आयोग की घोषणा के बाद नगर निकाय चुनाव जल्द होने के आसार बढ़ गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार ट्रिपल टी के पहले चरण में आयोग का गठन कर राजनीतिक पिछड़ेपन का अध्ययन कराना है। इस तरह उम्मीद है कि दिसम्बर तक नगर निकाय का चुनाव हो जायेगा। नियमानुसार चुनाव की अधिसूचना जारी होने के छह माह के भीतर चुनाव संपन्न करा लेना है। ऐसे में 31 दिसंबर से पहले चुनाव संभावित है।

राजनीतिक पिछड़ेपन का होगा अध्ययन
राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट विकास सिंह, मनिंद्र सिंह तथा महाधिवक्ता ललित किशोर ने पक्ष रखा। वहीं, राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट दिनेश द्विवेदी ने पक्ष रखा। अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि सरकार राजनीतिक पिछड़ेपन का अध्ययन कराने के लिए वर्ष 2006 में अत्यंत पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया था। उनका कहना था कि हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अलोक में अतिपिछड़ा वर्ग आयोग (ईबीसी) आयोग को ही एक समर्पित आयोग का दर्जा दिया गया है। इसके रिक्त पदों पर नियुक्ति कर दी गई है। 


योग सरकार को देगा रिपोर्ट

समर्पित आयोग को ईबीसी के राजनीतिक पिछड़ेपन को देख रिपोर्ट तैयार कर सरकार को देने का निर्देश दिया गया है। सरकार का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले राज्य सरकार ने ईबीसी को आरक्षण देने के लिए मुंगेरी लाल कमीशन का गठन किया था। मुंगेरी लाल कमीशन की रिपोर्ट को सरकार ने मंजूर किया था। इसी के आधार पर ईबीसी को आरक्षण देते हुए पंचायत और नगर निकाय चुनाव कराए गए थे। 

रिपोर्ट के अनुसार तय होगा आरक्षण
समर्पित आयोग की रिपोर्ट प्राप्त होते ही राज्य निर्वाचन आयोग नगर निकाय चुनाव में ईबीसी को आरक्षण देते हुए चुनाव संपन्न कराएगा। गौरतलब है कि गत 4 अक्टूबर को पटना हाईकोर्ट ने नगर निकाय चुनाव में ओबीसी/ईबीसी को दिए गए आरक्षण को गैरकानूनी करार देते हुए आरक्षित सीट को अनारक्षित मान चुनाव कराने का आदेश दिया था। नगर निकाय चुनाव दो चरणों में होना था। पहले चरण का चुनाव 10 अक्टूबर को तो दूसरे चरण का चुनाव 20 अक्टूबर को होना था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव को स्थगित कर दिया। 

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