हक की आवाज : - मोदी सरकार ने किया मजदूरों के नैसर्गिक अधिकारों का हनन : मनोज कुमार पूर्व प्रमुख
➡️ *भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी अंचल परिषद साहेबपुरकमाल ने मजदूर दिवस पर किया परिचर्चा का आयोजन*
➡️ *वक्ताओं ने समवेत स्वर से लिया तानाशाह सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प*
साहेबपुरकमाल: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी अंचल परिषद साहेबपुर कमाल के द्वारा सनहा पश्चिम पंचायत स्थित जमींदार महतो के आवासीय परिसर में मजदूर दिवस के अवसर पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। अध्यक्षता कॉ. अनवर आलम के द्वारा किया गया। इस मौके पर अंचल सचिव मनोज कुमार ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस का आयोजन प्रत्येक वर्ष 1 मई को किया जाता है। वर्ष 1886 से पहले मालिकों के द्वारा मजदूरों से 15 से 20 घंटे काम कराया जाता था। जब मजदूरों ने इसका विरोध किया तो हजारों मजदूरों को पुलिस की गोलियों से मौत के घाट उतार दिया गया। उन्हीं मजदूरों में से एक मजदूर ने अपना शर्ट उतार कर अपने साथियों के बहते खून में भिगोकर एक डंडे में बांधकर यह घोषणा किया कि यह लाल झंडा मजदूरों के हक हुक़ूक़ का प्रतीक होगा। उस घटना के बाद मजदूरों न यह निर्णय लिया कि अब सभी मजदूर 8 घंटे काम और और शेष समय अपने परिवार और समाज के लिए व्यतीत करेंगे। अत्याचार के खिलाफ खड़े हुए मजदूरों के विरोध को देखकर तत्कालीन मालिकों को मजदूरों की एकता के आगे झुकना पड़ा और मजदूरों की शर्त को मानना पड़ा। उन्होंने कहा कि भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई 1923 को चेन्नई में हुई थी। जिसे मद्रास दिवस के रूप में मनाया जाता था। इसकी शुरुआत मजदूर किसान नेता कॉ. सिंग रावेलु चिटीएर ने किया था।
*मोदी सरकार ने किया है मजदूरों के नैसर्गिक अधिकारों का हनन*
पूर्व प्रमुख सह अंचल सचिव ने कहा कि भारत में नरेंद्र मोदी की सरकार ने सुनियोजित साजिश कर श्रम कानून में संशोधन कर मजदूरों को गुलाम बनाने की साजिश रची है। मोदी सरकार ने मौजूदा 27 श्रम कानून के साथ साथ विभिन्न राज्यों के द्वारा बनाए गए कानूनों को समाप्त कर लेबर कोर्ट को बनाया तथा मजदूरों को पूंजीपतियों के दया पर छोड़ दिया। इस गहरी साजिश के कारण बेरोजगारी की समस्या देश में चरम पर पहुंच गई। उद्योगपतियों को इस लेबर कोर्ट बनाने से यह फायदा मिला कि अब वह मजदूरों से 8 घंटे की जगह 12 घंटा काम ले रहे हैं और मन मुताबिक श्रमिकों के छटनी का अधिकार उनके हाथों में आ गया है। इस बदलाव से मजदूरों की आर्थिक सामाजिक और स्वास्थ्य सुरक्षा तीनों खत्म हो गया है। उन्होंने कहा कि एक तरफ मोदी सरकार रोजगार तो मुहैया नहीं कर पा रही है दूसरी तरफ लेबर कोड बनाकर एक झटके में मजदूरों के अधिकारों को समाप्त कर दिया है। नई कंपनी में महिलाओं के लिए कमरे और बच्चों की देखभाल का प्रबंध नहीं होगा। न्यूनतम वेतन कानून, अनुबंध कानून, कर्मकार क्षतिपूर्ति कानून, संविदा श्रमिक कानून, असंगठित मजदूर कानून, स्वास्थ्य बीमा कानून आदि कानूनों को निरस्त करने से मजदूरों के नैसर्गिक अधिकारों का हनन सुनिश्चित हो गया है।
*नियोजित शिक्षकों के साथ खड़ी है भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी*
अंचल सचिव ने कहा कि सरकार के द्वारा लाई गई शिक्षक नियमावली के प्रावधानों का हम पुरजोर विरोध करते हैं। सरकार पहले यह बताए कि इतने नये शिक्षक अगर नियुक्त होंगे तो उन्हें वेतन का पैसा कहां से आएगा। राज्य सरकार के बजट में नए शिक्षकों के वेतन के लिए तो कोई प्रावधान ही नहीं है। शिक्षक नियुक्ति नियमावली में नये संवर्ग में शिक्षक नियुक्ति का जो प्रावधान है, वह शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ महज धोखा है। सरकार में अगर ईमानदारी होती तो सबसे पहले वह उन युवाओं को नियुक्ति पत्र देती, जो CTET, STET या TET की परीक्षाएं पास कर नौकरी का इंतजार कर रहे हैं। नयी नियमावली बनाते समय इस बात पर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया कि ऐसे कुछ अभ्यर्थियों की पहले नियुक्ति हो भी चुकी है तो शेष के साथ भेदभाव क्यों किया गया। उनका गुनाह क्या था? उन्होंने कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी संघर्ष की इस घड़ी में सदैव आंदोलनरत शिक्षकों के साथ खड़ी रहेगी।
*वक्ताओं ने समवेत स्वर से लिया मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प*
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला कार्यकारिणी सदस्य सह प्रभारी कॉ. प्रताप नारायण सिंह ने कहा कि भारतीय कारखाना अधिनियम, औद्योगिक विवाद अधिनियम, ट्रेड यूनियन अधिनियम, सामान्य परिश्रमिक अधिनियम, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, वेतन भुगतान अधिनियम, यौन उत्पीड़न अधिनियम, बाल श्रम, निरपेक्ष मातृत्व लाभ अधिनियम, कर्मचारी भविष्य अधिनियम जैसे अन्य महत्वपूर्ण कुछ कानून हैं, जिन्हें आंशिक या पूर्ण रूपेण समाप्त कर दिया गया है। मोदी सरकार ने कोरोना काल के महामारी का फायदा उठाकर कई सौ साल से श्रमिकों द्वारा जो अधिकार प्राप्त थे उन पर हमला करते हुए उनके अधिकार को समाप्त कर दिया। नए कानून में कारोबारियों के सुगमता के नाम पर 27 मौजूदा कानून को समाप्त कर दिया गया। यह कानून शुद्ध रूप से उद्योगपतियों के हित में और मजदूरों के विरुद्ध है। बनाए गए लेबर कोड बिल में कार्यस्थल पर गंदगी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं होगी। कार्य के दौरान मजदूरों की मृत्यु होने पर अधिकारी इसकी सूचना नहीं देंगे। शौचालय नहीं होने पर इसकी शिकायत नहीं होगी। औद्योगिक इकाई अपने हिसाब से मजदूरों को रख सकते हैं और उसे निकाल भी सकते हैं। मजदूरों की बहाली पर श्रम न्यायालय भी संज्ञान नहीं ले सकते हैं और ना ही अपील पर सुनवाई होगी। इस कारण बेरोजगारी चरम सीमा पार कर चुकी है। किसान संगठनों के महा आंदोलन के सामने मोदी को घुटने टेकने पड़े तथा तीनों काले कृषि कानून को लोकसभा में वापस लेने की घोषणा करना पड़ा। मई दिवस के अवसर पर असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को जाति धर्म से ऊपर उठकर किसानों की तरह संगठित आंदोलन की बुनियाद पर मौजूदा जनविरोधी नरेंद्र मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने की आवश्यकता है। तभी हम महंगाई, बेरोजगारी और महामारी से निजात पा सकते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान मोदी सरकार के सांसद बृजभूषण सिंह के द्वारा महिला पहलवानों के साथ सर्वाधिक मानसिक शोषण किया गया तथा सरकार की पुलिस कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप के बाद उक्त सांसद पर प्राथमिकी दर्ज हुई। परंतु दुखद बात यह है कि अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई जिससे मोदी का यह नारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ झूठा साबित हो रहा है।
*इनलोगों की मौजूदगी में हुआ कार्यक्रम का आयोजन*
वक्ताओं ने कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी अंचल परिषद साहेबपुरकमाल यह मांग करती है कि सांसद बृजभूषण सिंह की अविलंब गिरफ्तारी हो तथा स्पीडी ट्रायल कर महिला पहलवानों को अविलंब न्याय दिलाया जाए। अंचल परिषद ने यह फैसला किया 3 मई से पदयात्रा का कार्यक्रम किया जाएगा।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी अंचल परिषद शाहपुर कमाल अपना निम्न प्रोग्राम का आयोजन किया गया है
सनहापश्चिम :-4 मई को पदयात्रा किया
जाएगा
सनहा उत्तर:- 5 मई को पदयात्रा किया जाएगा
पांचवीर :- 7 मई को पदयात्रा किया जाएगा
सनहा पूरब:- 8 मई को पदयात्रा किया जाएगा
समस्तीपुर :- 11 मई को पदयात्रा किया जाएगा
उक्त सभी पंचायत के अलावे दूसरे राउंड में शेष पंचायत में पदयात्रा का कार्यक्रम होगा
मौके पर राजेश कुमार सुमन मोहम्मद नौशाद, सुबोध प्रसाद सिन्हा, पुष्प कुमार पासवान, रामप्रवेश महतो, सौरभ सिंह, मोहम्मद रिजाउल हक, सरफराज आलम, केदार महतो, प्रभाकर सिंह, गोपाल पटेल, मनोज पासवान, अनवर आलम सहित अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे।