बिहार के कलयुगी बाप ने अपने 7 साल के बेटे को कोसी नदी में फेंका, वजह जानकर हैरान हो जाएंगे आप
एक कलयुगी पिता ने अपने सात साल के एकलौते पुत्र को कोसी नदी में जिंदा फेंक दिया। घर आकर उसने बालक के अचानक गायब हो जाने की जानकारी घरवालों को दी। शंका होने पर बालक की मां ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंच कर बालक के पिता को हिरासत में लेकर जब पूछताछ की तो उसने अपना जुर्म कबूल किया। उसके बाद पुलिस प्रशासन ने एनडीआरएफ की मदद से कोसी नदी में बालक की खोजबीन शुरू कर दी है। सोमवार देर शाम तक बालक का कोई पता नहीं चल सका है।
दरअसल, आरोपी पिता दिलखुश को अपना पुत्र नहीं मानता है। जिस वजह से उसने घिनौना हरकत किया। थानाध्यक्ष सुमन कुमार ने बताया कि आरोपी गणेश यादव ने अपना जुर्म कबुल कर लिया है। एनडीआरएफ के सहयोग से बालक की खोजबीन की जा रही है। बालक की मां के आवेदन पर गणेश यादव, उसके पिता रामकिशुन यादव और मां दनिया देवी के खिलाफ केस दर्ज कर पुलिस आगे की कार्रवाई कर रही है। पुलिस ने आरोपी पिता व बालक की दादी दनिया देवी को गिरफ्तार कर लिया है।
आधार कार्ड बनवाने के बहाने पुत्र को साथ लेकर गया
जानकारी अनुसार अंदौली पंचायत के फुलवरिया निवासी गणेश यादव शनिवार को अपने पुत्र दिलखुश कुमार (7) को लेकर अंदौली चौक पर आधार कार्ड बनाने गया था। रात लगभग 12 बजे जब वह अकेले घर लौट तो उसकी पत्नी मुंद्रिका देवी ने दिलखुश के बारे में पूछताछ की। गणेश ने बताया कि वह दिलखुश के साथ अंदौली चौक पर भगैत देख रहा था। वहां से दिलखुश गायब हो गया। रविवार को मुंद्रिका ने थाना में आवेदन देकर पुत्र की हत्या की आशंका जताई। पुलिस ने मौके से गणेश को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो उसने अपना जुर्म कबुल कर लिया। गणेश ने बताया कि घर आकर उसने अपने पिता रामकिशुन यादव को घटना की जानकारी दी। इसके बाद उसके पिता घर से फरार हो गए। घटना के बाद से दिलखुश की मां का रो-रोकर बुरा हाल बना है। बताया जाता है कि मुंद्रिका देवी को एक पुत्र और तीन पुत्री है।
क्या कहना है आरोपी पिता का
गणेश ने बताया कि दिलखुश उसका पुत्र नहीं है। उसने कहा कि शनिवार को आधार कार्ड बनाने का बहाना बनाकर दिलखुश को बाइक पर बैठाकर अंदौली चौक ले गया। वहां एक भगैत सम्मेलन देखने लगा। रात लगभग बजे बाइक पर बैठाकर दिलखुश को बनैनियां पंचायत के सनपतहा गांव की ओर ले गया। वहां कोसी नदी पर बने पुल पर रुक गया। इसके बाद वह दिलखुश को उठाकर कोसी नदी में फेंक दिया।